Mon. Dec 23rd, 2024

संरक्षक


Name - श्री विनोद कुमार सिंह
से0नि0 पी.पी.एस.
अपने दीर्घकालिक पुलिस सेवा के अनुभव से मैंने यह जाना है कि हमारे समाज को पुलिस से निरंतर अपेक्षा बढ़ती जा रही है। यह मानव समाज के लिए एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । पुलिस का नाम आते ही अपराध नियंत्रण की भावना के साथ-साथ सड़क पर होने वाली दुर्घटना एवं घटनाओं के संबंध में पुलिस की तात्कालिक आवश्यकता का अनुभव होना स्वाभाविक है। एकांत सुनसान रास्तों में आवागमन भी सुरक्षित हो ऐसी परिकल्पना के साथ डायल 112 की सेवाएं निरंतर पुलिस में परिवर्तन को परिलक्षित करती है। डायल 112 द्वारा भी पुलिस की गतिशीलता और क्रियाशीलता को बढ़ाने का प्रयास किया गया है ताकि जनता सुरक्षित आवागमन कर सके और दूरस्थ क्षेत्रों में आवासित ग्रामीणों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके। पुलिस के अन्य कार्यक्षेत्रों में किसी संज्ञेय अपराध की तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करना किसी घटना के घटित होने के तत्काल बाद घटनास्थल पर पहुंचना वहां मौजूद भौतिक एवं पारिस्थितिजन्य साक्षय का संकलन करना विवेचना करना अभियुक्त की अविलंब गिरफ्तारी करना अभियुक्त को न्यायालय में प्रस्तुत करके उसके विरुद्ध पर्याप्त सबूत न्यायालय में प्रस्तुत करके अभी तो को सजा दिलाना पीड़ित का उपचार एवं उसकी सुरक्षा गवाहों की सुरक्षा आदि कार्यों को जनता की अपेक्षाओं के अनुसार करने की जिम्मेदारी पुलिस की समझी जाती है जो एक निर्धारित प्रक्रिया है । पुलिस विभाग में चयनित होकर आने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी चाहे वह महिला या पुरुष हो अपने मन में समाज के प्रति अपने उपरोक्त दायित्व के निर्वहन के लिए भावना लेकर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं । उत्तर प्रदेश पुलिस के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में बाह्य कक्ष एवं अंत: कक्ष प्रशिक्षण प्रदान किए जाने का प्रावधान है । प्रशिक्षण संस्थान में संसाधन की कमी नहीं है परंतु प्रशिक्षण संस्थान में नियुक्त प्रशिक्षक अधिकांश अपने को पुलिस की मुख्य शाखा से अलग समझते हैं और अपनी नियुक्ति को वह एक दंड स्वरूप समझते हैं
मेरा अपना व्यक्तिगत विचार है कि प्रशिक्षण संस्थानों में योग्य , अनुभवी, इच्छुक एवं अपने विचारों को प्रशिक्षार्थियों के समक्ष सफल रूप से प्रस्तुत करने की क्षमता एवं व्यावसायिक दक्षता से परिपूर्ण अधिकारियों एवं प्रशिक्षकों की नियुक्ति हेतु वरीयता प्रदान की जाए ताकि प्रशिक्षण के स्तर में सुधार हो सके। बाह्य प्रशिक्षण के स्तर में सुधार हेतु कठोर अनुशासन , ड्रिल , यूनिफॉर्म का सही प्रकार पहनना ( उत्तर प्रदेश पुलिस ड्रेस रेगुलेशन के अनुसार) , प्रयोग किए जाने वाले शस्त्रों का संचालन , नेतृत्व क्षमता का विकास, कमांड लीडरशिप की भावना में सुधार, व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता पैदा करना तथा इसको दैनिक पुलिस जीवन में भी अंगीकार करना सुधार करने का ही प्रतीक है । इसके लिए प्रशिक्षक को व्यक्तिगत तौर पर प्रत्येक प्रशिक्षु के दैनिक क्रियाकलापों का निकट पर्यवेक्षण करना , उसके व्यक्तिगत आचरण में सुधार करने की तरफ एक प्रयास है। पुलिस जनों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले शस्त्रों को अद्यतन रखना , एच 0ई0 ग्रेनेड, एच 0ई0बम , अश्रु गैस के बारे में बताने के साथ-साथ उनका प्रयोगात्मक प्रशिक्षण भी समय-समय पर दिया जाना बहुत आवश्यक है और शस्त्र प्रशिक्षण में निरंतर सुधार की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश में सिख आतंकवाद के नियंत्रण हेतु सशस्त्र प्रशिक्षण केंद्र ए0टी0सी0 वर्तमान में ए0पी0टी0सी0 आर्म्ड पुलिस ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर में आतंकवाद निरोधक प्रशिक्षण (टी0टी0पी0) कोर्स आरक्षी पद से आई0पी0एस0 स्तर के अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु चलाया जाता था। उन दोनों मेरी नियुक्ति भी आर्म्ड ट्रेनिंग सेंटर सीतापुर में आतंकवाद निरोधी प्रशिक्षण हेतु की गई थी । निरंतर फायरिंग अभ्यास एवं आतंकवाद से जूझने के लिए जंगल में विभिन्न फील्ड क्राफ्ट टैकटिक्स का अभ्यास निकट पर्यवेक्षण में कराया जाता था ताकि विषम परिस्थितियों में भी आतंकवादियों का मुकाबला निडर रहकर , पूर्ण आत्मविश्वास से निर्भीक होकर कर सकें। तराई क्षेत्र के जनपदों में नियुक्त पुलिस अधिकारियों से जब मैंने वार्ता की तो उन्होंने कहा कि आतंकवादियों से अब हमें कोई भय नहीं लगता और अब हम उनसे अन्य अपराधियों की तरह मुकाबला करने में सक्षम हैं। राजकीय रेलवे पुलिस मुरादाबाद में नियुक्ति के दौरान एक ट्रेन डकैती की घटना जिसमें 9 डकैतों द्वारा पैसेंजर ट्रेन को लूटा गया, जिसको तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रेलवे श्री अमिताभ यश द्वारा स्वयं सर्विलेंस के माध्यम से पता लगाकर उसी रात में पूरे गैंग का विवरण निकाल कर अगले दिन प्रात: काल तक सभी डकैतों की गिरफ्तारी कर ली गई तथा डकैती में लूटा माल भी बरामद कर लिया गया था। यह बात मैंने इसलिए स्पष्ट की है कि उस समय सर्विलांस हेतु संसाधन अधिक तकनीकी पूर्ण नहीं थे फिर भी सफलता मिली थी , परंतु अब वर्तमान परिस्थितियों में अपराध करने की प्रणाली अपराधियों द्वारा बदलते रहने के कारण उत्तर प्रदेश पुलिस के पुलिस जनों को नई तकनीकी का प्रयोग करने हेतु नए उपकरण और उनमें निरंतर सुधार की आवश्यकता है । पुलिस अधीक्षक श्री अमिताभ यश ने उस समय ही कहा था के अभी तो इस घटना का अनावरण हमने वर्तमान सर्वेलेंस के संसाधन से कर लिया है परंतु आगामी 5 वर्षों के उपरांत अपराधियों के द्वारा निरंतर बदलते हुए अपने अपराध करने की कार्य प्रणाली के कारण पुलिस को भी अपनी रणनीति में और अपने संसाधनों में परिवर्तन करना होगा। अंत: कक्ष विषयों के संबंध में सुधार हेतु यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश पुलिस से संबंधित जो पुस्तकें उपलब्ध हैं, वह ब्रिटिश काल से ही प्रचलित हैं जो वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है। उत्तर प्रदेश पुलिस रेगुलेशन , उत्तर प्रदेश पुलिस ऑफिस मैन्युअल , उत्तर प्रदेश गार्ड और एस्कॉर्ट नियम आदि अन्य पुस्तकों में तात्कालिक सुधार की आवश्यकता है ताकि प्रशिक्षण में आए हुए नवागंतुक पुलिस जनों को अद्यतन जानकारी से अवगत कराया जा सके। असंगत एवं प्रयोग में ना आने वाले विषयों को पाठ्यक्रम से हटाकर उनके स्थान पर आवश्यक विषयों को शामिल करके भी प्रशिक्षण के स्तर में सुधार किया जा सकता है ।
वर्तमान में भारतीय दंड संहिता (आई0पी0सी0) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा दंड प्रक्रिया संहिता (सी0आर0पी0सी0) के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय साक्ष्यप बिल 2023 लाकर पुलिस एवं न्यायालय की वर्तमान कार्य प्रणाली मेंआमूल चूल परिवर्तन करके क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को सुधारने का प्रयास किया गया है। अपराध विज्ञान क्रिमिनोलॉजी यद्यपि विभिन्न शिक्षण संस्थानों में एक विषय के तौर पर पढ़ाया जाता है परंतु इसी विषय को यदि नवागंतुक पुलिस अधिकारियों को एवं सेवारत पुलिस अधिकारियों को प्रदेश के विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने से पुलिस अधिकारियों को अपराध ,अपराधी, उनकी कार्यप्रणाली ,उनकी मनोदशा, अपराध करने की परिस्थितियों तथा उनके निराकरण के संबंध में सहायता मिलेगी। यद्यपि ब्यूरो ऑफ़ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ( बी0पी0आर0 और डी0) पुलिस के द्वारा किए जाने वाले अन्वेषण के क्रम में अपराधियों से पूछताछ के तौर तरीके तथा अपराध करने के का रण आदि के बारे में निरंतर योग्य फैकल्टी द्वारा सुझाव दिए जा रहे हैं जो पुलिस की कार्यप्रणाली में निश्चित तौर पर सुधार करेंगे ।