नशा किसी प्रकार का भी हो व्यक्ति तो के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार खोलता है इसके कारण परिवार टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हीरोइन जैसे मादक पदार्थों का नशा ही नहीं बल्कि कुछ दावोओं का भी इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा है, इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परम आवश्यक है।
सांई कृपा फाऊंडेशन हरिद्वार रुड़की ब्रांच
अविशेक जैन
सेंटर इंचार्ज & काउंसलर
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आज भारत बुरी तरह से नशे की समस्या से जूझ रहा है। यह बेहद जटिल और बहूआयामी मुद्दा है, जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुंचा रहा है। नशीली दवाओं की लत लगातार बढ़ने से निजी जीवन में अवसाद, पारिवारिक कलह, पेशेवर अकुशलता और सामाजिक सह-अस्तित्व की आपसी समझ में समस्याएं सामने आ रही हैं। हमारे युवा नशे की लत के ज्यादा शिकार होते जा रहे हैं। क्योंकि युवावस्था में करियर को लेकर एक किस्म का दबाव और तनाव रहता हैं। ऐसे में युवा इन समस्याओं से निपटने के लिए कुसंगति के कारण नशीली दावों का सहारा लेता है। और अंततः समस्याओं के कुछ चक्र में फंस जाता है इसके साथ ही युवा एक गलत पूर्वधारणा का शिकार भी हो जाता है। उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर धुएं के छल्ले उड़ाना और महंगी पार्टी में शराब के सेवन करना उच्च सामाजिक स्थिति का प्रतीक भी जान पड़ता है। विद्यार्थियों के रहने की जगहों के आसपास आप अक्सर नशे के व्यापार को देखते सुनते भी होंगे। यदि आप भारत सरकार के नशे की स्थिति पर हालिया आंकड़ों को देखें तो ये बेहद चौंकाने वाले हैं। 1000 में से 15 व्यक्ति नशीली दावों का सेवन करते हैं और प्रत्येक 1000 में से 25 लोग क्रॉनिक अर्थात स्थाई शराब सेवन के शिकार हैं। यह आंकड़े दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। आपने अक्सर एक शब्द सुना होगा कि फला इंसान, फला लड़का नशे की लत में हैं। आखिर नशे की लत उसे क्यों लगी कैसे लगी यह चिंतन का विषय है, यह नशे की लत इसका सीधा सा मतलब ही है कि जब नशीली दावों का दुरुपयोग किसी व्यक्ति
के सामान्य और पेशेवर जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है तो उसे नशे कालती कहा जाता है यह न सिर्फ नशेड़ी व्यक्ति के व्यक्तित्व में परिवर्तन लाता है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्तियों के व्यवहार में भी चिड़चिड़ापन ला देता है सामान्य शब्दों में कहे तो एक नशेड़ी व्यक्ति अपने आसपास के समाज पर एक लहर प्रभाव उत्पन्न करता है जिसके कारण सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाता है नशे की लत इतनी ज्यादा खतरनाक है कि यह कई बार लोग इसके अति सेवन से और न मिलने पर आत्महत्या तक कर डालते हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार नशे की लत के कारण वर्ष 2021 में 10 हजार से अधिक लोगों ने अपने जीवन की लीला को समाप्त कर लिया। 2022 तक आते-आते यह आंकड़े और बढ़े हैं, इसकी रोकथाम के लिए भारत सरकार ठोस कदम उठा रही है इसके लिए “नशा मुक्त भारत अभियान 2025” को सफल बनाने के लिए नशा माफिया के ऊपर उन्हें चिन्हित कर जेल भेजा जा रहा है, वही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी जी उत्तराखंड से नशे को समाप्त करने के लिए “देवभूमि ड्रग्स फ्री अभियान 2025” अभियान को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड पुलिस को कड़े निर्देश दिए हुए हैं जिसके परिणाम सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड पुलिस दिन-रात नशा तस्करी, माफियाओ के ऊपर आए दिन कार्रवाई कर रही है। गांव-गांव, शहर शहर जाकर उत्तराखंड के देवभूमि रक्षक चौपाल लगाकर युवाओं को नशे के विरुद्ध प्रेरित कर सबके सहयोग से नशे को समाज से खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, पुलिस का यह रूप देखकर आमजन में उनकी प्रशंसा हो रही है।
लेखक
-नेपाल गिरि
-संपादक पुलिस एक्शन न्यूज़