आज भारत बुरी तरह से नशे की समस्या से जूझ रहा है। यह बेहद जटिल और बहुआयामी मुद्दा है जो देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक ताने बाने को क्षति पहुँचा रहा है। नशीली दवाओं की लत लगातार बढ़ने से निजी जीवन में अवसाद, पारिवारिक कलह, पेशेवर अकुशलता और सामाजिक सह-अस्तित्व की आपसी समझ मे समस्याएं सामने आ रही हैं। हमारे युवा नशे की लत के ज्यादा शिकार हैं। चूँकि युवावस्था में कैरियर को लेकर एक किस्म का दबाव और तनाव रहता है। ऐसे में युवा इन समस्याओं से निपटने के लिए नशीली दवाओं का सहारा लेता है और अंततः समस्याओं के कुचक्र में फंस जाता है। इसके साथ ही युवा एक गलत पूर्वधारणा का भी शिकार होते हैं। उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर धुएँ के छल्ले उड़ाना और महँगी पार्टीज में शराब के सेवन करना उच्च सामाजिक स्थिति का प्रतीक भी जान पड़ता है। विद्यार्थियों के रहने की जगहों के आसपास आप अक्सर नशे के व्यापार को देखते-सुनते भी होंगे।
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हम यहां बात कर रहे हैं, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के युवको के बारे में- कहते हैं उत्तराखंड का युवक देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने का स्वप्न लिए मेहनत करता है, वही उत्तर प्रदेश के युवा देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने के स्वप्न के साथ मेहनत करते हैं साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के कर्मभूमि ने देश को बड़े-बड़े नेता दिए हैं। लेकिन अब दोनों ही प्रदेशो के युवाओं के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ रही है। इसका कारण है नशा माफियाओं का साम्राज्य जो दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है इन माफिया का उद्देश्य केवल अपने साम्राज्य को बढ़ाना है और युवाओं की नसों में नशा भरना। ऐसा नहीं है कि सरकार इसके लिए चिंतित नहीं है दोनों ही प्रदेशों की सरकारें इसके लिए योजना बध तरीके से ठोस कदम उठा रही है और आए दिन नशा माफियाओ और तस्करों पर कार्रवाई भी हो रही है लेकिन इतनी कार्रवाई के बावजूद भी नशे का यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा और दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है जो युवाओं की जिंदगी से खेल रहा है। डर है कहीं उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश भी पंजाब और दिल्ली की
तरह नशे की लहर में ना उड़ने लगे यह व्यंग नहीं है कटु सत्य है। नशा कारोबारियो के निशाने पर, स्कूल, कॉलेज और विवी में पढ़ रहे छात्र और युवा हैं। शिक्षण संस्थानों में बढ़ रहे नशा तस्करों से हर कोई परेशान है क्योंकि नशा तस्कर युवाओं के युवान को खोकला करते नजर आ रहे हैं जो समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन रहे हैं प्राचीन समय में हमारे शिक्षण संस्थान शिक्षा के मंदिर होते थे जहां युवा अपने भविष्य की कहानी रचना शुरू करते थे सपना संजोंते थे गुरुओं से आशीर्वाद लेते थे ज्ञान व शब्दों को जीवन के यथार्थ में उतारते थे, जिसके आधार पर शिक्षण संस्थान ज्ञान केंद्र हुआ करते थे लेकिन वर्तमान समय में वास्तविक स्थिति चिंता जनक है, क्योंकि जो ज्ञान का केंद्र होने का दर्जा प्राप्त है वही आज तेजी से नशा तस्करों के लिए अच्छा बाजार बनता जा रहा है चाहे वह उत्तराखंड के शिक्षण संस्थान हो या उत्तर प्रदेश के या अन्य प्रदेशों के, स्थित एक समान ही है यह एक चिंतनीय विषय है तथा ध्यान देने योग्य भी है कि नशा तस्करों का निशाना घरों से दूर पढ रहे बच्चे होते हैं, जो कि कमरा लेकर या हॉस्टल लेकर घर वालों की नजर से दूर रहते हैं जिसके परिणाम स्वरुप घर वालों से पैसे मांगने पर पैसे भी मिल जाते हैं लेकिन वह पैसे जाते
कहां है, यह कुछ जिम्मेवार परिवार ही अपने बच्चों से पूछते हैं नशा युवाओं की नसों में घुलकर कई परिवारों का नाश बन रहा है। शिक्षण संस्थानों की कार्यप्रणाली व सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान है, कि आखिर नशा परिसरों में कैसे पहुंच जाता है अंदर तो छोड़ो जहां नशा परिसरों के आसपास भी नहीं पहुंचना चाहिए वह आसानी से छात्रों के हॉस्टल में मिल रहा है, किराए पर रह रहे युवाओं के कमरों में क्या चलता है, कोई नहीं जानता मकान मालिक को समय पर किराया मिल रहा है, वह उसी में संतुष्ट है उसे उससे अधिक और कुछ नहीं चाहिए। आवश्यकता है नजर रखने की युवा इस कहावत को सिद्ध करते नजर आ रहे हैं “घर वाले घर नहीं हमें किसी का डर नहीं” अभिभावकों को जागना होगा की खर्चे के लिए मांगे गए पैसों का बच्चे / युवा कहां खर्च कर रहे हैं, कहीं अपनी मौत का सामान / कहीं अपनी मौत की कहानी खुद ही तो नहीं लिख रहे। अगर यह दास्तान इसी तरह से ही चलता रहा, तो आप खुद समझ जाइए देश का भविष्य क्या होगा। पुलिस का सहयोग कर इन नशा तस्करों को सलाखों के पीछे धकेलना ही होगा अन्यथा देश प्रदेश में खासकर शिक्षण संस्थानों में
स्थिति सामान्य से कब अनियंत्रित हो जाए इसका अनुमान लगाना मुश्किल होगा। □ नशे की यह लत युवाओं के शरीर को खोखला तो कर ही रही है साथ ही उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेल रही है। जिससे अपराध दिनों- दिन बढ़ता जा रहा है। नशे की लत युवाओं को अपराध करने के लिए मजबूर कर देती है, नशे की पूर्ति के लिए भटकते रहते हैं ऐसी हालत में में नशे की पूर्ति के लिए अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं, यही कारण है की छोटी-मोटी वारदातोओं से लेकर संगीन वारदातोओं में इलाके के नशाखोर शामिल रहे हैं, जैसे-जैसे समाज में नशाखोरी बढ़ती जा रही है अपराध का ग्राफ, साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, महंगाई और बेरोजगारी के कारण भी युवा नशे की गलत लत में पडते जा रहें हैं, बेरोजगारी के चलते रोजगार मिलना आसान नहीं होता बेरोजगारी के कारण बढ़ते कंपटीशन के कारण जब मेहनत करने के बाद भी रोजगार नहीं मिलता, युवा करियर बनाने के लिए भटकता रहता है, तो बेरोजगारी में समय व्यतीत करने के लिए युवा ऐसे साथियों की तलाश में रहता है जो उसकी बातों को सुनने समझ सके ऐसे में कई बार वह गलत संगत में पड़कर नशे का आदी हो जाता है। और जब वह गलत संगत में पड़ जाता
है, तो नशा कारोबारी उसे तस्कर बनने पर मजबूर कर देते हैं क्योंकि उसे नशा चाहिए और नशा कारोबारी को अपना कारोबार बढ़ाना है। यही नशा कारोबारी के साम्राज्य के बढ़ते कारोबार की कड़ी है, एक दूसरे से बेहतर बनाने का सिलसिला फिल्म और सीरियल के असर, किशोर के दिल में दिमाग पर छाया हुआ है, युवा खुद को अपने साथियों से बेहतर दिखने के प्रयास में लगे, पड़े हैं उनके दिमाग पर पड़े इस असर के कारण उनके दिल में अच्छे मोबाइल, लैपटॉप, बाइक, ब्रांडेड जूते- कपड़े जिससे उनके साथियों के बीच उनकी अलग पहचान बन सके और यही स्थिति साथियों को देखकर अमीर घरों के दोस्तों के शौक जैसे पूरा करने कि इस होड में वे अपने अमिर साथियों से पीछे नहीं रहना चाहते। अपने आप को बेहतर सिद्ध करने कि इस होड, कई बार उन्हें चोरी के लिए प्रेरित करती है। और उन्हीं की तरह नशा करने के शौक में भी पीछे नहीं हटते। अपराध करने के बाद जब उनकी गिरफ्तारी होती है तब पूछताछ में अक्सर यही सामने आता है की नसे की लत के कारण की थी चोरी। पुलिस चोरी और झपटमारी की वारदातों में कई बार ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनकी तलाशी में नशीले पदार्थ बरामद होते हैं पूर्व में किसी अपराध में शामिल न होने और परिवार की साफ सुथरी छवि होने के कारण पुलिस उनसे गहन पूछताछ करती है। पुलिस पता लगाने का प्रयास करती है कि उन्हें चोरी या अन्य अपराध करने की क्या आवश्यकता पड़ी थी। पूछताछ में बस यही सामने आता है कि वह नशा करने लगे हैं और नशे की पूर्ति के लिए उन्होंने यह अपराध किया है। आखिरकार इन नशा माफिया को कौन समर्थन कर रहा है? कौन लोग इन्हें संरक्षण दे रहे हैं, आखिरकार कौन है जो हमारे युवाओं का भविष्य, उनकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। और अपना साम्राज्य बढ़ा रहे हैं कहां तक फैले हैं इनके तार? नशे की लत में नारकोटिक मेडिसिन का भी पूरा योगदान है आए दिन नारकोटिक मेडिसिन के भर भर के बॉक्स अवैध तस्करी में पकड़े जाते हैं इन नशीली दवाओ की मैन्युफैक्चरिंग तो देश के अंदर ही हो रही है! कौन लोग इसका उत्पादन अवैध तरीके से कर रहे हैं, नशीली दावों उत्पादकों का भी
युवाओं की नसों में खून की जगह नशा बहाने में अहम योगदान निभा रहे
हैं और अपना साम्राज्य बढ़ा रहे हैं खुद बड़े-बड़े बंगलो और लग्जरी कारों
में घूमने के लिए देश के भविष्य को संकट में डाल रहे हैं। ऐसे उत्पादकों ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। क्यों बच जाते हैं यें लोग कौन दे रहा है इनको संरक्षण? कौन कर रहा है इनका समर्थन, समर्थन करने वालों को भी न बक्शा जाए समर्थन करने वाला सामान भागीदार है अपराध में। क्या अतीक अहमद की तरह ही नशा माफिया अब राजनीति में आ रहे हैं? क्योंकि कोई ताकत तो है जो इन नशा माफिया को अपना साम्राज्य बढ़ाने में इनका साथ दे रही है और जिसके कारण यह बार-बार बच जाते हैं अक्सर पकड़े तो सिर्फ प्यादे जाते हैं युवा जब नशे की लत में लग जाता है तो मजबूर होकर नशा माफियाओ का साम्राज्य बढाने में उसे मजबूर कर देता हैं। पकड़े जाने पर आहुति इन युवाओं की ही दी जाती है। जब तक समाज इसके लिए जागृत नहीं होगा तब तक यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहेगा कहीं ज्यादा देर ना हो जाए। इसके लिए हमें पुलिस का सहयोग कर इस महामारी और संकट की काली छाया से निपटने के लिए जागरूक होकर एकजुट होना पड़ेगा ताकि समाज से नशा रूपी दानव को समाप्त कर सके।