पानीपत में हड़ताल पर चले गए डॉक्टर
किसी को कोई परवाह नहीं डिलीवरी ओपीडी के लिए भटकते रहे मरीज मरीज-निजी अस्पतालों में इलाज करने के लिए नहीं है पैसे। 1500 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए भटकते रहे इधर-उधर ईलाज के लिये डॉक्टर नही थे उपस्थित।
डिलीवरी के लिए आई लगभग 37 गर्भवती महिलाओं को दाखिल करने से किया इंकार।
रिटायर्ड डॉक्टरो ने किये पोस्टमार्टम गंभीर हालत में आए मरीज को नहीं मिली कोई राहत आनन फानन में करना पड़ा रहा है रेफर
पानीपत में निजी अस्पताल बन रहे मरीजों का सहारा
डॉक्टर रिंकू- हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष ने कहा की सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है स्वास्थ्य सेवा में हो रही मरीजों को असुविधा की जिम्मेदार सरकार है।
पानीपतः जिला सिविल हॉस्पिटल के साथ-साथ हॉस्पिटल स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के कारण स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने से मरीज बेहाल नजर आए। अब सब कुछ भगवान भरोसे या निजी अस्पताल भरोसे चल रहा है। इन सबके चलते इमरजेंसी, पोस्टमार्टम, डिलीवरी, एक्सरे, अल्ट्रसाउंड व ओपीडी पूरी तरह से बंद रही। अस्पताल में आए लगभग 1600 मरीज इलाज के लिए भटकते रहे। NHM के अंतर्गत कार्यरत बाल रोग व हड्डी रोग विशेषज्ञों ने ही ओपीडी संभाली। मरीजों को कंट्रोल करने के लिए सिविल सर्जन खुद कार्यालय से नीचे उतर आए उनको सिटी थाना पुलिस बुलानी पड़ी। सिविल सर्जन ने पुलिस की सुरक्षा में नेत्र, शुगर, बुखार व खांसी के 180 रोगियों की जांच की। इसके बाद वह इमरजेंसी में गंभीर मरीजों को देखने चले गए। पूरे अस्पताल में मरीजों का हाहाकार मचा रहा। सिविल सर्जन डॉक्टरों को फोन कर उन्हें ड्यूटी पर आने की विनती करते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने आने से इंकार कर दिया। डॉक्टर को भगवान का रूप कहा जाता है लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हुआ। सरकार से चल रही नाराजगी के चलते डॉक्टरो ने मरीजों को बेसहारा कर दिया अपने स्वार्थ के चलते उन्होंने यह भी नहीं देखा कि मरीजों को हमारी कितनी आवश्यकता है। जिनसे उनकी रोजी-रोटी घर परिवार चलता है उन लोगों को उन्होंने भगवान के भरोसे छोड़ दिया स्वार्थ की भी अपनी कुछ सीमाएं होती हैं पर ऐसे डॉक्टरों ने सभी सीमाओं को लांघ दिया। हरियाणा सिविल सर्विसेज एसोसिएशन के बैनर के नीचे सरकारी डॉक्टर वीरवार को सामूहिक अवकाश पर चले गए। वहीं इसके कारण जिला सिविल हॉस्पिटल में डिलीवरी रोक दी गई। यहां डिलीवरी के लिए आई 37 गर्भवतियों को दाखिल करने से इंकार कर दिया। परिजनों को आनन फानन में निजी अस्पताल ले जाना पड़ा। मरीज यहां पर इलाज करने के लिए नर्सिंग ऑफिसर से विनती करते रहे, लेकिन उन्होंने खुद को इलाज करने में असक्षम बताया। इमरजेंसी वार्ड में लगभग 50 लोग लड़ाई झगड़ों, सड़क हादसों में घायल होकर आए। इनको यहां प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाया। एमएलआर व एमएलसी पूरी तरह से बंद रही। पुलिस शाम तक 25 आरोपियों को मेडिकल के लिए लेकर आई, लेकिन यहां डॉक्टर नहीं थे।
इसलिए इनका मेडिकल नहीं हो सका। पुलिस को बिना मेडिकल के ही आरोपियों को कोर्ट में पेश करना पड़ा। सिविल सर्जन प्रार्थना करते रहे, कृपया सहयोग करें। इन सबके बीच CMO डॉ. जयंत आहूजा ने पहले फिजिशयन का काम संभाला। यहां 15 मरीजों की जांच की। वे फिर नेत्र रोग विभाग में पहुंचे। यहां मरीजों की लंबी लाइनें लगी थी। उन्होंने नेत्र, छाती, शुगर, बुखार, खांसी के लगभग 180 मरीजों की जांच की। रिटायर्डस डाक्टरो ने शवों का पोस्टमार्टम किया किया। वही बुधवार को जाटल रोड पुल के नीचे मालगाड़ी की चपेट में आने से मृत व्यक्ति के परिजन बुधवार शाम से ही पोस्टमार्टम के इंतजार में थे। वीरवार को सुबह डॉक्टरों की हड़ताल रही। इसलिए पोस्टमार्टम करने कोई नहीं पहुंचा। शवगृह में तीन शवों का पोस्टमार्टम होना था। एक नहर में मिला शव भी था। जिसमें दुर्गंध हो रही थी। इसके कारण शवगृह के आसपास भारी दुर्गंध फैली थी। मृतक के परिजन दो बजे तक पोस्टमार्टम का इंतजार करते रहे। इसके बाद आक्रोशित परिजन ओपीडी में सिविल सर्जन के पास पहुंच गए। यहां उन्होंने लोगों से विनम्रता से सहयोग करने की अपील की। इसके बाद उन्होंने एक रिटायर्ड डॉक्टर को पोस्टमार्टम के लिए बुलाया। तीन से छह बजे तक तीनों शवों का पोस्टमार्टम किया गया। जबरदस्ती किया जा रहा रेफर, हरिसिंह चौक निवासी सुभाष ने बताया कि वह इमरजेंसी वार्ड में दाखिल है। उसको सांस लेने में दिक्कत है। अस्पताल में इलाज करने के लिए कोई नहीं है। उसको जबरदस्ती यहां से रेफर किया जा रहा है। उसकी हालत गंभीर हो रही है। सरकार जल्दी कोई हल निकाले। डॉक्टरों के न होने से जा रहे निजी अस्पताल पट्टीकल्याणा निवासी बिजली निगम में लाइनमैन कृष्ण कुमार ने कहा कि उसको एक मोटरसाइकिल सवार ने टक्कर मार दी। वह हादसे में घायल हो गया। जिला नागरिक अस्पताल में इलाज के लिए आया था, लेकिन यहां डॉक्टर ही नहीं हैं। उसको एमएलसी कटवानी थी। अब इलाज के लिए निजी अस्पताल में जाना पड़ेगा। निजी अस्पताल में डिलीवरी कराने के लिए नहीं हैं पैसे। अर्जुन नगर निवासी मोहित ने बताया कि वह अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए अस्पताल में लेकर आया था। यहां उसे दाखिल करने से मना कर दिया। अब उसके पास इतने पैसे नहीं है कि निजी अस्पताल में डिलीवरी कराए। उसकी पत्नी को पेट में बहुत दर्द है। अब वह किसी से उधार पैसे लेकर पत्नी को निजी अस्पताल में दाखिल कराएगा। मांगे नहीं माने जाने तक नहीं लौटेंगे- डॉ. रिंकू हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ. रिंकू सांगवान ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को नहीं मान रही है। मरीजों को हो रही परेशानी की जिम्मेदार सरकार है। सरकार उनका शोषण कर रही है। वह सरकार को बार बार अल्टीमेटम दे रहे थे। सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं ले रही। जब तक मांगे नहीं मानी जाएंगी। वह काम पर नहीं लौटेंगे।