नशा एक अन्तरराष्ट्रीय समस्या है, जो बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक को प्रभावित करती है। विशेषकर हमारा युवा वर्ग नशे से बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मादक पदार्थो के बढ़ते चलन को हमें रोकना होगा। इससे बचाव के उपाय खोजने होंगे। यह एक ऐसी बुराई है, जिससे व्यक्ति का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। मादक पदार्थों के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि पहुंचने के साथ ही सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। साथ ही स्वयं एवं परिवार की सामाजिक स्थिति को भी हानि पहुंचती है। वह नशे से अपराध की ओर बढ़ जाता है तथा शांतिपूर्ण समाज के लिए अभिशाप बन जाता है। इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है।
विष्णु अग्रवाल, डायरेक्टर साई कृपा फाउंडेशन रुड़की हरिद्वार
अभिषेक जैन, काउंसलर + सेंटर इंचार्ज
चंदन रखित, डायरेक्टर रिबॉर्न फाऊंडेशन कोलकाता
हेल्प लाइन = 9999301409, 8588810104
नशा बर्बादी का घर हैं, सबसे पहले तो ये हमारे श्वांस बर्बाद करते हैं जो बहुत कीमती हैं, उसके बाद हमारे शरीर, हमारे घर परिवार को नरक बना देता है |
नशे रूपी बुराई से खुद को और समाज को बचाना चाहते है, नशे करने वाले व्यक्ति की संगत कभी न करें
कहावत है खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है इसलिए कभी भी गलत संग नही करना चाहिए, ऐसे लोग जो आपको नशे की लत लगाते हैं, वो आपके दुश्मन होते हैं। हो सकता है 5 या 7 बार वो आपको अपने पैसों से नशे का इंतज़ाम करके दें लेकिन उसके बाद आपकी कमाई से पैसे लगने शुरू हो जाते हैं जो अंत तक आपको व आपके परिवार को सड़कों तक ले आ सकते हैं।
रिश्ते बहुत कीमती होते हैं कोई पति/पत्नी अगर शराबी या नशेड़ी है तो उसके साथ रहना भी बडा मुश्किल हो जाता है।
इसलिए हर मां बाप को भी चाहिए कि कभी भी अपने बच्चों को गलत संगत में न पड़ने दें।चाहे बेटा है चाहे बेटी दोनों के साथ एक घनिष्ट मित्र की तरह व्यवहार करें, उनके लिए राक्षस मां बाप न बनें। बल्कि पूरा फ्रेंडली रहें अपने बच्चों के साथ ताकि आपके बच्चे आपको हर छोटी से छोटी एंव बड़ी से बड़ी बात बता सकें।