Mon. Dec 23rd, 2024
देहरादून में तस्मिया संग्रहालय में 20वीं कुरआन प्रदर्शनी का हुआ दो दिवसीय आयोजन।
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फाईल फोटो- तस्मिया के संस्थापक डॉ. सैयद फारूक व जस्टिस महबूब अली

देहरादून- तस्मिया के संस्थापक डॉ. सैयद फारूक और साथ में जस्टिस महबूब अली ने शनिवार को दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ फीता काटकर शुभारंभ किया। इस मौके पर महबूब अली ने कहा कि कुरआन इंसानियत का पैगाम देता है। इंसानियत ही सबसे बड़ा मजहब है। (Humanity is the greatest religion)

फाईल फोटो- प्रदर्शनी में हिस्सा लेने पहुंचे शहर वासी

आज यहां आकर दिल को बड़ा सुकून मिला। कुरआन की शिक्षा को आम करने और आत्मसात करने की जरूरत है। (There is a need to generalize and assimilate the teaching of the Quran.

फाईल फोटोजयारत करते लोग

तस्मिया ऑल इंडिया एजुकेशनल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी (Tasmia All India Educational and Social Welfare Society) की ओर से 2-ए टर्नर रोड पर तस्मिया कुरआन संग्रहालय (Tasmiya Quran archive) में शनिवार से दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ (‘Quran text in the mirror of art’) प्रदर्शनी की शुरुआत हो गयी है। तस्मिया के संस्थापक डॉ. सैयद फारूक व जस्टिस महबूब अली ने शनिवार को दो दिवसीय 20वीं ‘कुरआन लेख कला के दर्पण में’ का इफत्ताह किया।

तस्मिया ऑल इंडिया एजुकेशनल एण्ड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. सैयद फारूक ने बताया कि 1445 वर्ष पूर्व नाजिल हुई कुरआना आज भी इसी तरह है, जैसे उस वक्त थी। डॉ. सैयद फारूक ने कहा कि प्रदर्शनी का मकसद कुरआन की इंसानियत का पैगाम देने वाली शिक्षा का आम करना है ( Dr. S. Farooq said that the purpose of the exhibition is to spread the teachings of the Quran giving the message of humanity.

फाइल फोटो- जयारत करते सिख समुदाय के लोग

‘पवित्र कुरआन लेख कला के दपर्ण में’ प्रदर्शनी का उद्देश्य यह भी है कि सभी समुदाय के लोग जान सकें कि इस्लाम का पैग़ाम क्या है। जात-बिरादरी जैसी संकीर्णताओं के लिये इंसानियत के बीच कोई जगह नहीं है। What is the message of Islam? There is no place among humanity for narrow- mindedness like caste and community.

प्रत्येक वर्ष रमजान माह में इस प्रदर्शनी का आयोजन, तस्मिया कुरआन संग्रहालय में किया जाता है। तस्मिया कुरआन संग्रहालय के संस्थापक डॉ. एस फारूक ने बताया कि इस प्रकार की नुमाइश रूह को और पाक कर देती है। पवित्र कुरआन के बहुत से नायाब नुस्खे तस्मिया कुरआन संग्रहालय में मौजूद हैं। यह बहुमूल्य पांडुलिपियां जो तस्मिया कुरआन संग्रहालय में सुरक्षित, दुनिया का नादिर और बेसकीमती नुस्खा है।

फाइल फोटो- डॉक्टर सैयद फारूक व जस्टिस महबूब अली जयारत करते हुऐ।

मुद्रित और हस्तलिखित कुरआन शरीफ की प्रतियां रमजान के इस मुबारक

मौके पर प्रदर्शनी में दिखाने का मकसद यही है कि हम राहे-हिदायत की ओर चले, पुण्य का कार्य करे, यही कुरआन का पैगाम है (We should move towards guidance and do virtuous deeds, this is the message of the Quran.)

क्या है? खास इस प्रदर्शनी में आईए जानते हैं-

संग्रहालय में दुनिया भर के कुरआन मजीद और खात्ताती के नमूने आम जनता के दीदार के लिए प्रदर्शित किया जा रहे हैं साथ ही 1487 फीट लंबी कुरआन का दीदार भी कर सकेंगे जिसकी चौड़ाई 2 फिट है।

‘कुरआन ए करीम’ 24 फीट लंबी और 12 फीट चौड़ी कुरआन जिसको डॉक्टर सैयद फारूक की बहन की ओर से क्रोसिये के माध्यम से लिखा गया है, जो काफी आकर्षक है।

संग्रहालय में पौने दो ग्राम से ढाई टन तक की कुरान है मौजूद।

संग्रहालय में मौजूद प्रदर्शनी में एक पेज से लेकर 1286 पेज तक का पवित्र कुरआन मौजूद है। वही संग्रहालय में सौ वर्ष से लेकर सात सौ वर्ष तक की कुरान हाथ से लिखी हुई मौजूद है। डॉक्टर सैयद फारूक का कहना है की संग्रहालय में 750 साल पुराने पौने दो ग्राम से लेकर ढाई टन तक की कुरान-ए- करीम को इससे पहले नहीं देखा होगा। लोगों को अपनी और आकर्षित करती है। संग्रहालय में मौजूद प्रदर्शनी में मुगल बादशाह औरंगजेब से लेकर इराक के बादशाह सद्दाम हुसैन सहित मलेशिया, ईरान, ओमान, सूडान, कुवैत, लीबिया आदि मुल्कों के बादशाहों द्वारा लिखी गई और छपाई गई कुरआन पीतल के पत्रों पर लिखी कुरआन 100 साल से लेकर 750 साल तक की कुरआन मौजूद है। इसके अलावा हिरण, ऊंट, बकरा, भेड, घोड़ा, मछली, खरगोश, कंगारू, की खाल के अलावा पत्थर, कपड़े, गिलाफ-ए-काबा सोना, चांदी पर भी कुरान की आयतें संग्रहालय में मौजूद है। प्रदर्शनी में बहुत से नायाब नुस्खे रखे गए है। प्रदर्शनी में यह सब दिखाने का मकसद यही है, कि हम सब इंसानियत को पहचाने और पुण्य का कार्य करें यही कुरआन का पैगाम है। कुरआन हमें इंसानियत सिखाती है जो दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है। (Quran teaches us humanity which is the biggest religion of the world) संग्रहालय में लगी प्रदर्शनी में शहर के काफी लोगों ने भाग लिया इसमें सिख समुदाय के लोग भी नजर आए।

फाईल फोटो- डॉ. सैयद फारूक व कर्नल अब्दुल कादिर

इस मौके पर कर्नल अब्दुल कादिर, मुफ्ति सलीम अहमद कासमी, मौलाना रिसालुद्दीन हक्कानी, सजबीर सिंह, मुफ्ति वसीउल्लाह कासमी, मुफ्ति जिया उल हक, डॉ. आदित्य आर्य, फादर जेपी सिंह, शहजादे सैयद हारून, केजी बहल, आर के बखशी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। शनिवार 23 मार्च 2024 से शुरू हुई यह प्रदर्शनी दो दिवसीय है, प्रदर्शनी सुबह 10 से शाम 5:00 बजे तक चलेगी।

न्यूज रिपोर्ट देहरादून- कय्यूम बिस्मिल

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